दर्द-ए-बयान, एक शेर नहीं करता
खुद की जुबान, मैं सुन नहीं सकता |
ए मजबूरी मेरे दिल की, क्या मैं बताऊँ
कुछ कहना भी है, और कह नहीं सकता |
Thursday, June 4, 2009
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Meri kalam hogi mera kamaal hoga aisa daval hoga aisa dhamaal hoga