Thursday, June 4, 2009

दर्द-ए-बयान

दर्द-ए-बयान, एक शेर नहीं करता
खुद की जुबान, मैं सुन नहीं सकता |
ए मजबूरी मेरे दिल की, क्या मैं बताऊँ
कुछ कहना भी है, और कह नहीं सकता |

2 comments:

  1. Hey! thats a nice one! waiting for more!

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  2. Wah! What to say....
    Kuch kehne ki zaroorath kya hai...
    yeh zubaan se kahi nahi jaathi..aakhen khud bayaan kar dethi hai...

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