मेरी कलम होगी, मेरा आरजू होगा ।
पैगामे-ए-प्रेम का आलाप ज़रूर होगा ॥
मेरे नाम का, एक राग कहीं होगा ।
मेरे राग में चिराग-ए-आग जरूर होगा ॥
मेरी दुनिया होगी, मेरा पहचान होगा ।
महफिल-ए-महबूब मुराद नही होगा ॥
PS: इन पंक्तियों को मै अनेक बार पड़ चुका हूँ। कभी अचा लगता हैं, कभी कछा लगता हैं। अगर आपको भी कछा लगे तो क्षमा करें ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment